इस भारत देश के कई इलाकों में प्यार करना या प्यार का इजहार करना सामजिक रूप से अपराध माना जाता है। जबकि खुलेआम गंदगी फैलाना , जानबूझ कर क़ानून तोडना , बलात्कार करना और जब दिल में आये सड़क जाम कर देना शान की बात समझी जाती है। जिन बच्चों को प्यार से पाल जाता है उनकी हत्या करते वक्त लोगों का दिल जरा भी नहीं पसीजता। वे खुद को उनका भगवान् मानने लगते हैं। मेरे विचार में अगर किसी के भी बच्चे ने ऐसा काम किया है चाहे वो मेरा भी बच्चा क्यूँ न हो , उसे बस प्यार से समझाना चाहिए और उनकी पसंद को भी सम्मान देना चाहिए और अगर कोई ज्यादा ही अपने बच्चों से नाराज़ है तो उनको बोलो की जाओ अपना गुजर बसर खुद करो। अपने बच्चों की जान लेना कहाँ की समझदारी है , ये तो हैवानियत की हद है , कोई समझदारी नहीं
Sunday, 29 September 2013
Wednesday, 25 September 2013
KHAAP PANCHAYAT
आज कल के ज़माने में इन खाप पंचायतों की कोई भी जरुरत नहीं है ये सिर्फ मुठी भर लोगों की दिमागी बीमारी है
Thursday, 19 September 2013
Friday, 13 September 2013
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