जातिवाद ने पूरे भारत में और खासतौर से हरियाणा में अपनी जड़ें बहुत गहरे रूप में जमा ली हैं। समय के साथ साथ मनुष्य ने उन्नति तो की पर अपने दिमाग से जातिवाद को नहीं निकाल पाया। डिफेन्स की नौकरी छोड़ने के बाद सिविल में नौकरी करते हुए कई बार ऐसे मौके आये जिनसे मुझे मुझे लोगों के मन में छुपी हुई जातिवाद की भावना देखने को मिली। डिफेन्स की नौकरी के दौरान मैंने कभी भी जातिवाद नाम के शब्द को नहीं सुना पर जबसे डिफेन्स छोड़कर सिविल में आया तबसे ही मुझे इस शब्द के कदम कदम पर किसी न किसी रूप में दर्शन होते रहे हैं और मुझे ये भी लगता है की अपने इस जनम में ये लोग शायद ही जातिवाद से मुक्त हो पायें। किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी भी भरे जाने वाले फार्म में जाति वाला कालम ही नहीं होना चाहिए। बस सिर्फ एक ही जाति हो और वो हो मानवजाति। एक ही धरम हो मानव धरम।
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