My Thoughts
Tuesday, 17 December 2013
Kashmakash
बहुत दिनों से सोच रहा था कुछ लिखा जाए , दिल तो हर रोज़ करता था पर सुस्ती के मारे लिख ही नहीं पाया। दिमाग में बहुत सी बातें आती हैं , आसपास जो भी कुछ हो रहा है वो कई बार बहुत कुछ सोचने पर मज़बूर करता है।
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